देहरादून। उत्तराखंड के सीमांत जिलों की आईटीबीपी बटालियनें अक्तूबर 2024 तक मटन, चिकन, फिश सप्लाई के लिए बड़े शहरों पर निर्भर थीं लेकिन 30 अक्टूबर को उत्तराखंड पशुपालन विभाग ने आईटीबीपी के साथ एक अनुबंध सीधे स्थानीय पशु पालकों से करा दिया है। जिसके बाद चार सीमांत जिलों के 253 किसान शुरुआती पांच महीने में ही आईटीबीपी के साथ 2 करोड़ 60 लाख का कारोबार कर चुके हैं।
पशुपालन विभाग ने गत 30 अक्तूबर को इस योजना को लेकर आईटीबीपी के साथ विधिवित अनुबंध किया। जिसके तहत पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी और चम्पावत जनपद के 10 सहकारी समितियों और एफपीओ से जुड़े 253 किसान आईटीबीपी की नजदीकी बटालियन को जिंदा मटन, चिकन, फिश की आपूर्ति कर रहे हैं। योजना के शुरुआती पांच महीने में ही ये किसान आईटीबीपी को कुल मिलाकर 79,530 किलो (42,748 किलो जिंदा भेड़-बकरी 29,407 किलो चिकन और 7,374 किलो ट्राउट फिश) की सप्लाई करके आईटीबीपी के साथ कुल 2 करोड़ 60 लाख रुपए का कारोबार कर चुके हैं।
सालाना 20 करोड़ रुपए कारोबार की उम्मीद
पशुपालन विभाग के सचिव बीवीआरसी पुरुषोत्तम की माने तो इस योजना के तहत किसानों को सप्लाई के 24 घंटे के भीतर, डीबीटी के जरिए भुगतान किया जा रहा है। जिसके लिए विभाग ने पांच करोड़ रुपए के रिवाल्विंग फंड की व्यवस्था की हुई है। उन्होंने बताया कि योजना के तहत आईटीबीपी को सालाना 800 मीट्रिक टन मटन, चिकन, फिश सप्लाई की उम्मीद है, इससे किसानों का कुल करीब 20 करोड़ का कारोबार होगा। जो सीमांत किसानों की आजीविका में बड़ा बदलाव लाएगा।
“इस योजना के बेहद सकारात्मक परिणाम आए हैं, सीमांत के किसानों की आय बढ़ने से गांवों में पलायन भी कम होगा। साथ ही वो आईटीबीपी के साथ मिलकर, देश की रक्षा पंक्ति को मजबूत करने का काम करेंगे। आईटीबीपी को भी ताजा खाद्य सामग्री की आपूर्ति होगी” (पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री)