देहरादून। उत्तराखंड में वनाग्नि सीजन से पहले प्रदेश में सात नई पिरुल ब्रिकेट्स यूनिट तैयार की जाएगी। मुख्यमंत्री के निर्देशों पर जल्द अल्मोड़ा, चंपावत, टिहरी गढ़वाल और नरेंद्र नगर वानप्रभाग में जल्द नई यूनिट को तैयार किया जाएगा। जिनके जरिए पिरुल को इकट्ठा करके वनाग्नि की रोकथाम की जा सकेगी। इसके अलावा वनाग्नि प्रबंधन के लिए राज्य सरकार 5 साल की कार्य योजना को केंद्र सरकार के पास भेजेगी।
दरअसल उत्तराखंड में वनाग्नि की बड़ी समस्या है जिसके कारण हर साल हजारों हेक्टेयर जंगल बर्बाद हो जाते हैं और आज के इस तांडव के बीच जनहानि भी होती है और इस बड़ी आपदा का कारण चीड़ पीरूल है। सरकार ने चीड़ पीरूल समस्या से निपटने के लिए स्वयं सहायता समूह की मदद से चीड़ पिरुल को इकट्ठा करना शुरू किया है जिसका प्रयोग पैलेट्स, ब्रिकेट्स बनाने में किया जा रहा है और स्वयं सहायता समूह को 3 रुपए प्रति कुंतल की दर से भुगतान भी किया जा रहा है।
गत वर्ष उत्तराखंड वन विभाग ने स्वयं सहायता समूहों के जरिए 38299.48 कुंतल चीड़ पिरुल इकट्ठा करके स्वयं सहायता समूहों को 1.13 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान किया है। अपर प्रमुख मुख्य वन संरक्षक निशांत वर्मा का कहना है कि वर्तमान में चल रही ब्रिकेट्स यूनिट की संख्या मुख्यमंत्री के निर्देश पर बढ़ाकर 12 किए जाने की तैयारी है। जिससे वनाग्नि की रोकथाम के साथ स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन भी हो सकेगा।
वह इस महत्वपूर्ण कार्य योजना को लेकर मुख्यमंत्री का कहना है कि “वनाग्नि रोकथाम के लिए, विभागों को समय से तैयारी करने को कहा गया है। प्रदेश में सात जगह नई ब्रेकेटस यूनिट बनने से ग्रामीणों को रोजगा मिलेगा, साथ ही पिरुल से लगने वाली वनाग्नि में भी प्रभावी कमी आएगी। इसके साथ ही वनाग्नि रोकथाम के लिए भारत सरकार के पास पांच साल की कार्ययोजना तैयार करके भेजी गई है”।