देहरादून। करीब 20 महीना के इंतजार के बाद आखिरकार समान नागरिक संहिता कानून लागू करने के लिए उत्तराखंड में बनाई गई रिटायर जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता वाली कमेटी ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ड्राफ्ट सौंप दिया है। जिसे शनिवार 3 फरवरी को होने वाली कैबिनेट बैठक में मंजूरी दी जाएगी इसके बाद 5 फरवरी से 8 फरवरी तक चलने वाले विधानसभा सत्र में विधेयक के रूप में इसे राजभवन भेजा जाएगा। जहां से मंजूरी मिलने के बाद इसे प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा।
समान नागरिक संहिता को लागू करने के साथ ही उत्तराखंड देश का ऐसा दूसरा राज्य होगा जहां यूसीसी लागू किया जाएगा। 27 मई 2022 को रिटायर्ड जस्टिस रंजना देसाई की अगुवाई में पांच सदस्य कमेटी का गठन किया गया था जिसने 20 महीनों में 75 बैठकें और 2 लाख 35 हजार सुझावों पर अपना होमवर्क करते हुए ड्राफ्ट तैयार किया है। यही नहीं ड्राफ्ट में किसी तरह की कोई कमी ना हो और हर धर्म के लोगों को समान रूप से अधिकार दिए जाएं इसके लिए राज्य सरकार ने चार बार कमेटी का कार्यकाल भी बढ़ाया था। 27 जनवरी 2024 को आखरी बार 15 दिन का कार्यकाल बढ़ाने के बाद कमेटी ने अपने द्वारा बने ड्राफ्ट को रिवाईज करने के बाद इसे सरकार को सौंपा है।
जानिए क्या होता है यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC)
समान नागरिक संहिता जिसे अंग्रेजी में यूनिफॉर्म सिविल कोड कहा जाता है वह सामाजिक मामलों से संबंधित एक ऐसा कानून है जिसमें हर धर्म हर वर्ग के लोगों के लिए विवाह तलाक भरण पोषण विरासत और बच्चों को गोद लेने के लिए एक समान अधिकार दिए जाते हैं। जिससे अलग-अलग धर्म में चल रही कुछ कुप्रथाओं से निजात पाई जा सकती है। बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर के द्वारा बनाए गए संविधान के भाग 4 के अनुच्छेद 44 में उल्लेख किया गया है कि समाज में समान नागरिक संहिता लागू करना हमारा लक्ष्य होगा।
आपको बता दें कि इससे पहले भारत में गोवा ऐसा इकलौता राज्य है जहां पर समान नागरिक संहिता कानून लागू किया गया था। जिसका समर्थन पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी किया था हालांकि उनकी पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने समान नागरिक संहिता कानून का विरोध किया था। आजादी से पहले गोवा में ब्रिटिश राज के दौरान पहले समान नागरिक संहिता कानून लागू किया गया लेकिन आजादी के बाद हिंदू कोड बिल पेश किया गया। जिसने बौद्ध हिंदू जैन और सिख जैसे भारतीय धर्म के विभिन्न संप्रदायों में बड़े पैमाने पर व्यक्तिगत कानून को मंजूरी मिली और उन कानून में सुधार भी किया गया। हिंदू कोड बिल पेश होने के बाद इसमें किए गए सुधारो से ईसाइयों यहूदियों मुसलमान और परसों को छूट दी गई जिन्हें हिंदुओं से अलग समुदायों के रूप में पहचाना जाता है।