हिंदू देवी देवताओं और पैगंबर के नाम पर जानवर का नाम नहीं रख सकते:- कलकत्ता हाईकोर्ट

ब्यूरो। गुरुवार को कोलकाता हाई कोर्ट की एकल पीठ ने विश्व हिंदू परिषद की याचिका पर सुनवाई करते हुए पश्चिम बंगाल सरकार को बंगाल सफारी पार्क में शेर और शेरनी के नाम को बदलने का आदेश दिया है। एकल न्यायाधीश न्यायमूर्ति सौगत भट्टाचार्य ने पश्चिम बंगाल सरकार से आग्रह किया कि वह दोनों शेरों को कुछ अन्य नाम देने पर विचार करे ताकि किसी भी विवाद को शांत किया जा सके।

दरअसल पश्चिम बंगाल के बंगाल सफारी पार्क में शेर का नाम अकबर और शेरनी का नाम सीता रखने के बाद विश्व हिंदू परिषद ने नाम बदलने के लिए हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी। जिसमें आरोप लगाया गया था कि शेरनी को सीता नाम देने से हिंदुओं की धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं और यह उनके धर्म के अधिकार का भी उल्लंघन करता है। जिस पर गुरुवार को हाई कोर्ट के एकल न्यायमूर्ति न्यायाधीश सौगत भट्टाचार्य ने बंगाल सरकार को दोनों का नाम बदलने के लिए कहा है। इससे पहले हाईकोर्ट में पश्चिम बंगाल सरकार के एएजी देबज्योति चौधरी ने अदालत को बताया कि राज्य ने जानवरों को कोई नाम नहीं दिया है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि बंगाल सफारी पार्क में दो शेरों का नामकरण सीता और अकबर के रूप में त्रिपुरा चिड़ियाघर के अधिकारियों द्वारा 2016 और 2018 में किया गया था जबकि शेरों को हाल ही में सिलीगुड़ी के बंगाल सफारी पार्क में स्थानांतरित किया गया था।

दोनों पक्ष को सुनने के बाद अदालत में इस मामले में टिप्पणी करते हुए कहा कि “मिस्टर काउंसिल, क्या आप स्वयं अपने पालतू जानवर का नाम किसी हिंदू भगवान या मुस्लिम पैगंबर के नाम पर रखेंगे। मुझे लगता है, अगर हममें से कोई भी अधिकारी होता तो हममें से कोई भी उनका नाम अकबर और सीता नहीं रखता. क्या हममें से कोई रवीन्द्रनाथ टैगोर के नाम पर किसी जानवर का नाम रखने के बारे में सोच सकता है? इस देश का एक बड़ा वर्ग सीता की पूजा करता है… मैं शेर का नाम अकबर के नाम पर रखने का भी विरोध करता हूं. वह एक कुशल, सफल और धर्मनिरपेक्ष मुगल सम्राट थे।” कोर्ट ने कहा कि “आप इसका नाम बिजली या ऐसा कुछ रख सकते थे। लेकिन अकबर और सीता के ऐसे नाम क्यों रखें?”

कोर्ट ने यह भी कहा कि धार्मिक देवता या ऐतिहासिक रूप से सम्मानित व्यक्तित्वों के नाम पर शेरों का नाम रखना अच्छा नहीं है। राज्य पहले से ही कई विवादों को देख रहा है और यह विवाद एक ऐसी चीज है जिससे बचा जा सकता है।कोर्ट ने कहा, ‘आपको इस विवाद से बचना चाहिए था। हमारा राज्य पहले से ही कई विवादों से जूझ रहा है। शिक्षकों की नियुक्ति से लेकर अन्य विवादों तक। हर कोई पीछे है (पश्चिम बंगाल)। इसलिए विवाद से बचने के लिए फैसला लिया जा सकता है। कोर्ट ने यह भी जोड़ा, “कृपया विवाद से बचें अपने अधिकारियों से इन जानवरों का नाम बदलने के लिए कहें… एक निर्विवाद नाम आरक्षित करें। कृपया किसी भी जानवर का नाम किसी हिंदू भगवान, मुस्लिम पैगंबर, ईसाई, महान पुरस्कार विजेताओं, स्वतंत्रता सेनानियों आदि के नाम पर न रखें। आम तौर पर, जो पूजनीय और सम्मानित होते हैं, उनका नाम नहीं दिया जाना चाहिए।”

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