देहरादून। उत्तराखंड के जंगलों में लगी भीषण आग से अब तक 724.065 हेक्टेयर जंगल तबाह हो चुका है। प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में वनाग्नि की 598 घटनाएं हो चुकी है जिसमें विभाग को करीब 15 लाख रुपए का नुकसान हो चुका है। वनाग्नि की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए सरकार एक्शन में दिखाई दे रही है। शनिवार को सरकार के आग्रह पर वायु सेवा ने रेस्क्यू ऑपरेशन का मोर्चा संभाला है।
कुमाऊं क्षेत्र में हालात बिगड़ते देख मुख्यमंत्री ने हल्द्वानी में वन अग्नि से निपटने के लिए कुमाऊं कमिश्नर और वन विभाग के अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक की जिसमें सभी अधिकारियों को कड़े निर्देश दिए गए इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने एक अहम फैसला लेते हुए वन विभाग के कर्मचारियों की मेडिकल इमरजेंसी के अलावा बाकी सभी छुट्टियों को रद्द कर दिया है।
वहीं बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने कड़े शब्दों में अधिकारियों को कहा है कि वन अग्नि की घटनाओं में क्विक रिस्पांस टीम को 24 घंटे तैनात रखा जाए और किसी भी तरह की इमरजेंसी के समय किसी कर्मचारी की लापरवाही सामने आए तो उसे पर सख्त कार्रवाई की जाए।
आपको बता दे कि उत्तराखंड के जंगलों में हर साल फायर सीजन में भीषण आग लगती है जिसके कारण राज्य को वन सम्पदा और पशु हानि होती है। हालांकि वन विभाग हर साल दावे तो बहुत करता है लेकिन साल दर साल वनाग्नी की घटनाएं बड़े पैमाने पर होती हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि इस तरह की घटनाएं बढ़ने के बाद भी किसी भी उच्च अधिकारी पर कोई भी कार्रवाई नहीं होती जिसका नतीजा यह निकलता है कि इस तरह की घटनाओं में कमी नही आती। हालांकि इस साल मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हैं लेकिन इस पर कितना अमल होता है यह देखने वाली बात है।