देहरादून। उत्तराखंड में आयुष विभाग एक बार फिर विवादों में है इस बार विवाद फार्मासिस्ट के ट्रांसफर को लेकर है जिसका विरोध में राजकीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी फार्मासिस्ट एसोसिएशन कर रही है एसोसिएशन की माने तो जारी की गई ट्रांसफर लिस्ट में 16 नाम ऐसे हैं जिनके ट्रांसफर गलत तरीके से नियमों को ताक पर रखकर किया गया है जिसकी शिकायत के बाद भी कोई कारवाई नही की जा रही है इसीलिए फार्मासिस्ट एसोसिएशन अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जाने का विचार कर रही है।
उत्तराखंड की स्वास्थ्य सेवाओं का को हाल है वो किसी से छुपा नहीं है फिर भी इस व्यवस्था को सुधारने की जगह अधिकारी बिगड़ते चले जा रहे हैं उत्तराखंड में पिछले कुछ समय से विवादों में रहा आयुष विभाग इस बार फिर विवादों से घिरा हुआ है इस बार मामला ट्रांसफर से जुड़ा हुआ है दरअसल इसी महीने 8 जून को आयुष विभाग में 29 फार्मासिस्टों की एक सूची जारी हुई है जिससे राजकीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी फार्मासिस्ट एसोसिएशन नाराज दिखाई दे रही है।
फार्मासिस्ट एसोसिएशन की माने तो इस लिस्ट में शामिल 29 नाम में से 16 फार्मासिस्टों के ट्रांसफर नियम विरूद्ध किए गए हैं जिसमें स्थानांतरण अधिनियम 2017 की धारा 23 के बिंदु 7 का उल्लंघन होता है “संगठन का कहना है कि जिन विभाग अध्यक्षों का स्थानांतरण किया जाना था उसके लिए 15% अधिकतम सीमा रखी गई थी जबकि जारी की गई लिस्ट में 38% स्थानांतरण कर दिए गए हैं जबकि इस सूची में दुर्गम क्षेत्र को सुगम बनाकर प्रदर्शित करते हुए स्थानांतरण किए गए हैं और कुछ ऐसी तैनाती भी कर दी गई है जहां बिना किसी रिक्तियों के ट्रांसफर हुए हैं“
मुख्यमंत्री के आदेशों को भी किया गया दरकिनार, गड़बड़ी की शिकायत के बाद भी जारी की गलत सूची
8 जून को ट्रांसफर सूची जारी करने के बाद संगठन ने 10 जून इसकी शिकायत मुख्यमंत्री और सचिव आयुष विभाग को गड़बड़ी की शिकायत की जिस पर मुख्यमंत्री और सचिव आयुष विभाग ने इस पर कार्रवाई करने के लिए पत्र को मार्क किया। जिस पर संज्ञान तो लिया गया लेकिन 18 जून को नई ट्रांसफर सूची जारी की गई जिसमें एक बार फिर गलत तरीके से फार्मासिस्टों के ट्रांसफर किए गए। यानी इस मामले में मुख्य मंत्री के आदेश की भी अनदेखी की गई।
उत्तराखंड में आयुष विभाग के भीतर कई बार अनियमिताओं की खबरें आई है जिस पर संज्ञान लेकर कार्रवाई की गई है लेकिन ट्रांसफर सूची जारी होने के बाद संगठन ने मुख्यमंत्री और सचिव आयुष विभाग से मुलाकात करके कार्रवाई की मांग की है लेकिन अब तक इस मामले में कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है। जिससे नाराज फार्मासिस्ट संगठन 26 जून को आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवाएं निदेशालय पर एक दिवसीय धरना देने वाले हैं और अगर इसके बाद भी संगठन की मांग को माना नहीं गया तो संगठन अनिश्चितकाल के लिए हड़ताल पर भी जा सकता है। जिसके कारण प्रदेश के आयुर्वेद अस्पतालों में 1000 से ज्यादा कर्मचारी कार्य बहिष्कार करेंगे जिससे आयुर्वेद चिकित्सा सेवाऐं बाधित रहेंगी।