विजय दिवस के मौके पर तीसरे दिन शिवपुरी में ध्वजारोहण के साथ शुरू हुई कांग्रेस की केदारनाथ बचाओ यात्रा

देहरादून। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा के नेतृत्व में हरिद्वार के हर की पैड़ी से केदारनाथ तक निकाली जा रही केदारनाथ बचाओ यात्रा के तीसरे दिन की शुरुआत ऋषिकेश के शिवपुरी में ध्वजारोहण के साथ हुई जिसमें कांग्रेस कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों ने भी हिस्सा लिया। इस दौरान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने शौर्य दिवस के मौके पर देश के लिए अपने प्राणों का त्याग करने वाले सभी वीर सैनिकों को नमन करते हुए तीसरे दिन यात्रा की शुरुआत की।

यात्रा के दौरान प्रदेश अध्यक्ष ने यात्रा में मौजूद सभी स्थानीय और लोगों और कार्यकर्ताओं को यात्रा में समर्थन देने के लिए धन्यवाद दिया साथ ही उन्होंने पदयात्रा में शामिल सभी स्थानीय लोगों और कार्यकर्ताओं को केदारनाथ से जुड़ी ऐतिहासिक संस्कृति और पौराणिक प्रति को के बारे में जानकारी दी और कहां के शास्त्रों की मान्यताओं और धरोहर के साथ जो छेड़छाड़ हो रही है वह नहीं होनी चाहिए इसे हम किसी भी रूप में स्वीकार नहीं करते।

आपको बता दें कि दिल्ली के केदारनाथ धाम ट्रस्ट ने बुराड़ी में केदारनाथ धाम बनाने के लिए 10 जुलाई को भूमि पूजन किया था जिस पर उत्तराखंड के तीर्थ पुरोहित समाज और मुख्य विपक्ष कांग्रेस ने खुलकर विरोध किया जिसके बाद ट्रस्ट ने केदारनाथ धाम की जगह केदारनाथ मंदिर के निर्माण बनाने और केदारनाथ धाम ट्रस्ट के नाम को बदलने की बात कही थी लेकिन कांग्रेस ने ट्रस्ट पर आरोप लगाया था कि ट्रस्ट ने अभी तक नाम नहीं बदला और केदारनाथ धाम के नाम पर बुराड़ी में मंदिर के निर्माण के लिए चंदा भी मांगा जा रहा है।

इसी विरोध में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने 24 जुलाई को हरिद्वार के हर की पैड़ी से स्नान के बाद केदारनाथ धाम तक पैदल यात्रा की शुरुआत की जिसको केदारनाथ बचाओ यात्रा नाम दिया गया 14 दिन की इस यात्रा में प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा हर पड़ाव पर स्थानीय लोगों से मुलाकात करेंगे और उनके स्थानीय मुद्दों को भी जानने की कोशिश करेंगे। प्रदेश अध्यक्ष ने यात्रा शुरू करने से पहले पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि वह इस यात्रा को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा से प्रभावित होकर कर रहे हैं हालांकि उन्होंने यह भी कहा की यह यात्रा बिल्कुल भी राजनीतिक नहीं है और ना ही किसी भी चुनाव के बारे में वह सोच रहे हैं फिलहाल उनका लक्ष्य केदारनाथ के अस्तित्व को बचाना है।

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