देहरादून। शनिवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई नीति आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऊर्जा पेयजल संकट और कृषि सिंचाई को लेकर राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की बात की और केंद्र सरकार से सहयोग मांगा। इस दौरान मुख्यमंत्री ने हिमालय राज्यों के लिए विशेष तौर पर नीतियां बनाने के लिए भी प्रधानमंत्री से अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने बैठक में प्रधानमंत्री के समक्ष प्रदेश के शहरों में हुए पेयजल के गंभीर संकट की बात करते हुए बताया कि इस संकट से लड़ने के लिए भू जल स्तर बढ़ाने और जल संरक्षण पर विशेष कार्य करने की जरूरत है। जिसके लिए प्रदेश में स्प्रिंग एंड रिवर रेजयुविनेशन का गठन किया है जो जल संरक्षण, जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने और हिम आधारित नदियों को वर्षा आधारित नदियों से जोड़ने की परियोजना पर कार्य कर रही है। जिसके लिए मुख्यमंत्री ने केंद्र से विशेष वित्तीय और तकनीकी सहायता का अनुरोध किया है।

इसके अलावा मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को बताया कि विकसित भारत के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता को अधिक बढ़ावा देने जरुरत है जिसके लिए कलस्टर आधारित इंक्यूबेशन सेंटर और ग्रोथ सेंटर महत्वपूर्ण साबित हों सकते हैं। जिसको देखते हुए उत्तराखण्ड में दो रूरल इंक्यूबेशन सेंटर और 110 ग्रोथ सेंटर स्थापित किये गये हैं। जिसके लिए वित्तीय सहायता और तकनीक की जरूरत है साथ ही मुख्यमंत्री ने ऊर्जा की कमी को पूरा करने के लिए राज्य को 25 मेगावाट से कम क्षमता की जल विद्युत परियोजनाओं के अनुमोदन तथा क्रियान्वयन की अनुमति प्रदान करने और लघु जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण के लिए प्रस्तावित 24 प्रतिशत कैपिटल सब्सिडी के प्रस्ताव को पूर्वोत्तर राज्यों के साथ ही हिमालयी राज्यों में भी लागू करने का अनुरोध किया।
मुख्यमंत्री ने ‘पी.एम कृषि सिंचाई योजना’ की गाईडलाइन्स में लिफ्ट इरिगेशन को शामिल करने और हिमालयी राज्यों के परिपेक्ष में विशिष्ट नीतियां बनाने का भी प्रधानमंत्री से निवेदन किया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि किसी भी विकसित राष्ट्र में शहरी क्षेत्र ग्रोथ इंजन के रूप में योगदान देते हैं और रोजगार सृजन भी बड़े शहरों में अधिक होता है। जिसके लिए इन शहरों की आबादी को मूलभूत सुविधाएं देने के लिए देश के विभिन्न शहरों के बीच ‘काउंटर मैग्नेट एरियाज’ विकसित करने की आवश्यकता है।मुख्यमंत्री ने कहा कि 2047 तक विकसित भारत की संकल्पना शोध विकास एवं नवाचार के लिए ए.आई रेडीनेस और क्वांटम रेडीनेस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।