केदारनाथ में रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा, 15 हजार से ज्यादा का रेस्क्यू, 3 की मौत

ब्यूरो रिपोर्ट, देहरादून। केदारनाथ में फंसे हुए लोगो को निकालने के लिए चलाया जा रहा रेस्क्यू ऑपरेशन 6 दिनों बाद पूरा हो गया है। इस रेस्क्यू ऑपरेशन में 15 हजार से ज्यादा लोगो को हेलीकॉप्टर और पैदल मार्ग के जरिए सुरक्षित रेस्क्यू किया गया है। वहीं केदारनाथ में आई आपदा के बाद राहत बचाव कार्य के दौरान मलबे से 3 लोगो भी निकाले गए हैं। इसके साथ ही प्रशासन पैदल मार्ग को दुरुस्त करने में भी जुट गया है जिससे केदारनाथ यात्रा को जल्द से जल्द सुचारु किया जाए।

6 दिनों तक चला केद्रनाथ में लोगो को निकालने का रेस्क्यू ऑपरेशन

31 जुलाई 2024 की रात रुद्रप्रयाग के सोनप्रयाग से केदारनाथ तक बारिश ने ऐसी तबाही मचाई जिसमें हजारों लोगों की जिंदगी बार बन आई। सोनप्रयाग में करीब 24 मीटर सड़क बह गई जबकि गौरीकुंड से लेकर केदारनाथ तक पैदल मार्ग भूस्खलन की वजह से जगह-जगह से बाधित हो गया और हजारों की तादाद में लोग केदारनाथ मार्ग पर फंस गए जिनको निकालने के लिए राज्य सरकार ने तत्काल एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन को लगाया जबकि केंद्र से वायु सेवा के एमआई 17 और चिनूक हेलीकॉप्टर को भी रेस्क्यू ऑपरेशन में बुलाना पड़ा। करीब 6 दिनों तक चल रेस्क्यू ऑपरेशन में प्रशासन ने हेलीकॉप्टर और पैदल मार्ग के जरिए 15 हजार लोगों का सुरक्षित रेस्क्यू किया।

चिनूक और एमआई 17 के साथ छोटे हेलीकॉप्टर और एसडीआरएफ, एनडीआरएफ के किया रेस्क्यू

गौरीकुंड से लेकर केदारनाथ धाम तक पैदल मार्ग में जो लोग आपदा के बाद फंस गए थे उनको निकालने के लिए एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम ने सबसे पहले मोर्चा संभाला और जो लोग रास्ते में फंसे हुए थे उनको वैकल्पिक मार्ग बनाकर सुरक्षित स्थानों तक पहुंचा इसके बाद रेस्क्यू ऑपरेशन में छोटे हेलीकॉप्टर को भी लगाया गया जिन्होंने छोटी संख्या में लोगों को तेजी से रेस्क्यू करने का काम शुरू किया वही सबसे ज्यादा राहत सी के एमआई 17 और हेलीकॉप्टर के है रेस्क्यू ऑपरेशन का हिस्सा बनने के बाद मिली क्योंकि चिनूक और एमआई-17 ने बड़ी संख्या में लोगों को रेस्क्यू करना शुरू कर दिया हालांकि खराब मौसम की वजह से थोड़ी परेशानी जरूर हुई लेकिन जैसे ही मौसम साफ होता था वैसे ही दोनों हेलीकॉप्टर उड़ान भरकर लोगों को बड़ी संख्या में रेस्क्यू कर रहे थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *