देहरादून। 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जनता से किए एक वादे को पूरा करते हुए वो कर दिखाया है जिसके दम पर 13 जिलों के छोटे से उत्तराखंड राज्य पर पूरा देश ही नहीं बल्कि दुनिया नजरें टिकाए बैठी है हम बात कर रहे हैं समान नागरिक संहिता कानून की जिसको प्रदेश में लागू करने के लिए उत्तराखंड सरकार तेजी से काम कर रही है। इस कानून में सभी धर्मों को शादी और तलाक, लिव इन रिलेशनशिप, जन्म और मृत्यु और उत्तराधिकार के संबंध में सभी धर्मों के लिए एक कानून का प्राविधान है जिसके लागू होने के बाद यूसीसी के उत्तराखंड मॉडल को देशभर में भी अपनाया जा सकता है।
जानिए समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए कब क्या हुआ
दरअसल 2022 विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश की जनता से वादा किया था कि भाजपा अगर सत्ता में आती है तो प्रदेश में यूसीसी कानून लागू किया जाएगा और चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री पद की शपथ के साथ ही मंत्रिमंडल की पहली बैठक में समान नागरिक संहिता ड्राफ्ट तैयार करने के लिए एक ड्राफ्टिंग कमेटी का गठन भी कर दिया गया। जिसने 2 साल के भीतर समाज के हर वर्ग के साथ चर्चा और सटीक विश्लेषण के बाद फरवरी 2024 में ड्राफ्ट तैयार करके सरकार को सौंप दिया।
ड्राफ्ट मिलने के बाद 12 मार्च 2024 को इस ड्राफ्ट को विधेयक के रूप में विधानसभा से पारित किया और विधेयक को राज्यपाल और राष्ट्रपति की भी जल्द मंजूरी मिल गई। इसके बाद सरकार ने यूसीसी नियमावली तैयार करने के लिए रिटायर्ड आईएएस अधिकारी शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता में एक समिति बनाई जिसने करीब 5 से 6 महीनों में शुक्रवार को नियमावली बनाकर राज्य सरकार को सौंप दिया है। जिस पर आगामी मंत्रिमंडल बैठक में चर्चा की जाएगी इसके बाद उम्मीद यह की जा रही है कि उत्तराखंड के 24 साल पूरे होने पर 9 नवंबर 2024 को यूसीसी को कानून के रूप में लागू कर दिया जाएगा।
नियमावली राज्य सरकार को सौंपने पर समिति के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह ने कहा कि समिति को जो काम सरकार ने सोप था वह काम पूरा हो गया है अब सरकार को देखना है कि इस कब लागू किया जाए और समिति को आगे क्या जिम्मेदारी देनी है। वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इस एक्ट को बनाने के लिए देवभूमि की जनता का अपार समर्थन मिला है जिसे बनाने के लिए प्रदेश के हर वर्ग के हितों को ध्यान में रखा गया है और मंत्रिमंडल की बैठक नियमावली पर चर्चा के बाद इसे प्रदेश में जल्द लागू कर दिया जाएगा। साथ उन्होंने यह भी कहा कि इस एक्ट को बनाने का मकसद किसी जाति विशेष को टारगेट करना नहीं है बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए एक समान कानून बनाना है।