सिलक्यारा:- 16 दिनों से जूझता आधुनिक डिजिटल भारत

उत्तरकाशी। पिछले कुछ सालों में भारत को आधुनिकता का नया मॉडल बनाकर पेश किया जा रहा है जिसके प्रचार में करोड़ों रुपए खर्च करके प्रचार भी किया जा रहा है ये भी बताया जा रहा है कि भारत विश्व गुरु बनने के कगार पर है लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल अलग है जिसका सबसे बड़ा उदाहरण उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हुआ सिल्कयारा टनल हादसा है।

पिछले 15 दिनों से केवल और केवल उम्मीद ही की जा रही है कि आज टनल में फंसे 41 मजदूर सुरक्षित रेस्क्यू कर लिए जाएंगे। आज पूरे देश को इंतजार है कि जो मजदूर पिछले 15 दिनों से टनल के भीतर फंसे हैं वो जल्द बाहर आएं। आज रेस्क्यू का 16वां दिन है जो वर्टिकल ड्रिल के साथ शुरू हुआ है पिछले 15 दिनों में होरिजोंटल ड्रिल करने की सभी कोशिशें नाकाम रही हैं।

लगभग 12 दिनों से सिल्कयारा टनल के बाहर से पल पल का अपडेट दर्शकों तक पहुंचा रहे वरिष्ठ पत्रकार अजीत सिंह राठी के सोशल मीडिया पर सोमवार सुबह डाले गए पोस्ट के अनुसार “रविवार से सोमवार तक रात भर चली प्लाज्मा कटर मशीन से सोमवार सुबह तड़के आगर मशीन के पार्ट को निकाल लिया गया है और सुरंग के अंदर से मैन्युअल खुदाई की तैयारी की गई है जो मद्रास आर्मी टीम की निगरानी में होगी”।

इससे पहले भी टनल के अंदर चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में विदेशी एक्सपर्ट्स की मदद भी ली जा चुकी है जो अभी भी टनल पर बने हुए हैं और रेस्क्यू ऑपरेशन में सहयोग कर रहे हैं यानी टेक्नोलॉजी में आगे बढ़ते भारत के पास जो भी तकनीक मौजूद है वह सभी टनल से मजदूरों को निकालने में फेल साबित हो रही है यही कारण है कि देश के साथ-साथ विदेश के तकनीकी विशेषज्ञों की राय भी ली जा रही है जो शायद भारत के विश्व गुरु बनने के सपने को भी आईना दिखा रहा है।

उत्तरांचल डायरी अपने से लेख से लोगों के बीच भ्रम की स्थिति पैदा नहीं करना चाहता बल्कि उन दावों को तथ्यों के आधार पर खोखला बताया जा रहा है जो देश की जनता से किए जा रहे हैं। इसके जिम्मेदार ऊंचे ओडों पर बैठे सभी अधिकारी और सत्ता की चाबी जेब में लिए घूमते नेता हैं जो जनता के ठेकेदार बनते हैं।

उत्तरांचल डायरी उम्मीद करता है की जल्द से जल्द मैन्युअल हो या तकनीकी रूप से रेस्क्यू पूरा हो जिससे 41 मजदूरो की जल्द घरवापसी हो सके।

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