हरिद्वार। धर्म नगरी हरिद्वार के ज्वालापुर क्षेत्र में कई जगह पुराने विद्युत पोल को हटाकर नए विद्युत पोल लगाने का काम किया जा रहा है। लेकिन इस काम के लिए विभागीय अधिकारी अपने कर्मचारियों की जिंदगी को ही खतरे में डाल रहे हैं। इतना ही नहीं जो कर्मचारी पोल लगाने का काम करे हैं वो लोगो की जिंदगी को खतरे में डाल रहे हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा कैसे हो रहा है? तो हम आपको बताते हैं कि किस तरह से कई जिंदगियां खतरे की जद में हैं।
आमतौर पर आपने देखा होगा की गली मोहल्ला या सड़कों के पास लगे हुए बिजली के पल पर कई तरह की तारों का जंजाल होता है। जिनमे टीवी केबल, टेलीफोन और इंटरनेट वायर होती हैं। जिसके लिए कुछ कंपनियां तो बिजली विभाग के साथ अनुबंध कर लेती है और पोल पर तार लगाने का किराया विभाग को देती है। लेकिन कई कंपनियां ऐसी होती है जो बिना किराया दिए ही पोल पर तार लटका देती है। जिसके लिए विभागीय अधिकारी क्यों आंखे बंद करते है इसका जवाब तो जिम्मेदार अधिकारी हो देते हैं लेकिन नतीजतन बिजली विभाग को हर साल करोड़ों रुपए का नुकसान होता है।
इतना ही नहीं जब पोल को बदलने की बारी आती है तो पोल पर लटकी बिजली की तारों के अलावा सभी तारों को काट कर सड़कों पर फेंक दिया जाता है। जिससे आम जनता का दोहरा नुकसान होता है। पहला ये कि तार कटने से इंटरनेट और केबल टीवी सेवा ठप्प पड़ जाती है और दूसरा सड़कों पर फैली कटी हुई तारों के कारण कई बार दुर्घटना हो जाती है। जिसके लिए सभी जिम्मेदार विभाग या कंपनिया पल्ला झाड़ लेती हैं।
अब आपको बताते हैं बिजली विभाग कर्मचारियों को कैसा खतरा होता है। दरअसल आमतौर पर स्ट्रीट लाइट बदलने के लिए एक ट्रक पर लगी क्रेन के सहारे स्ट्रीट लाइटों को बदल जाता है जिसमें कम से कम कर्मचारियों की सुरक्षा होती है। लेकिन बिजली के पोल को बदलने के लिए बिना किसी सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए केवल वायर को काटा जाता है और केवल एक पट्टे के सहारे विभाग के कर्मचारी पल पर चढ़कर काम करते हैं। यह सभी इनमें से कुछ कर्मचारी संविदा कर्मी होते हैं जिनके साथ अगर कोई दुर्घटना हो भी जाती है तो उसके लिए विभागीय जांच बिठा दी जाती है जिनकी विभाग को भी खबर नहीं होती।