देहरादून। 22 जुलाई से शुरू हो रही कावड़ यात्रा के लिए राज्य सरकार ने यात्रा के दौरान लगने वाली दुकानों पर मालिक और काम करने वाले स्टाफ की पहचान सार्वजनिक करने का फैसला किया है। इस संबंध में हरिद्वार में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 12 जुलाई को हुई बैठक में पहले ही निर्देश अधिकारियों को दे दिए गए हैं।
इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ऐसा ही फैसला ले चुकी है जिसके बाद अब उत्तराखंड में भी सरकार ने उन दुकानदारों और कामगारों की पहचान करने के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं जो कावड़ यात्रा के दौरान यात्रा मार्ग में अस्थाई रूप से दुकान लगाते हैं। हालांकि सरकार के इस फैसले पर विपक्ष नाराज दिखाई दे रहा है और सरकार पर समाज को बांटने की बात कर रहा है।
सरकार के फैसले पर विपक्ष ने आरोप लगाया है कि सरकार अपने फैसले से समाज को बांट कर विशेष समुदाय को परेशान कर रही हैं। सरकार के विरोध में पूरा इंडी एलाइंस एकजुट दिखाई दे रहा है। उत्तराखंड के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने इस फैसले पर सरकार को घेरा है तो वहीं इंडी एलाइंस के अन्य राजनीतिक दलों ने भी स्पेशल का पुरजोर विरोध किया है।
वहीं विपक्ष के भारी विरोध के बाद मुख्यमंत्री ने साफ कर दिया है कि “दुकान लगानी है तो पहचान भी बतानी होगी” मुख्यमंत्री ने कहा कि कई बार यह देखा गया है कि कई व्यक्ति दुकान लगाने के लिए अपना नाम बदल लेते हैं इसीलिए अगर कोई व्यक्ति सही है और वो दुकान लगाना चाहता है तो वह अपनी पहचान जरूर बताएगा जिस पर किसी को दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
कावड़ यात्रा के दौरान पूरे यात्रा मार्ग में हजारों की संख्या में अस्थाई दुकानें लगाई जाती हैं जिस पर सरकार ने इस साल नई व्यवस्था बनाई है जिसके तहत दुकान मालिकों के नाम दुकान के बाहर लगाए जाएंगे। सरकार की दलील है कि इस फैसले से किसी भी विशेष समुदाय को कोई परेशानी नहीं होगी।