देहरादून। अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के मौके पर बुधवार को उत्तराखंड भाषा संस्थान ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 10 साहित्यकारों को उत्तराखंड गौरव सम्मान से सम्मानित किया। मुख्यमंत्री के साथ इस कार्यक्रम में भाषा मंत्री और संस्थान कार्यकारी अध्यक्ष सुबोध उनियाल ने सम्मान पाने वाले सभी साहित्यकारों को शुभकामनाएं दी।

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने भाषा संस्थान की पत्रिका तथा कुमाऊंनी भाषा की पुस्तिका का विमोचन किया। कार्यक्रम में अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड की मिट्टी में भाषा और साहित्य की सेवा करने वाली अनेको विभूतियों ने जन्म लिया है। जिन्होंने अपनी रचनाओं से साहित्य के क्षेत्र में अपना अभूतपूर्व योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि सुमित्रानंदन पंत, भजन सिंह, गोविंद चातक, गुमानी पंत जी, शैलेश मटियानी, डॉ पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल, मनोहर श्याम जोशी, गौरा पंत शिवानी, शेखर जोशी, लीलाधर जगूड़ी, वीरेन डंगवाल, गिरीश तिवारी गिर्दा, भैरव दत्त धूलिया, इलाचंद्र जोशी, ओमप्रकाश वाल्मीकि, सरदार पूर्ण सिंह, प्रसून जोशी, गंगाप्रसाद विमल, शेरजंग गर्ग आदि जैसे महान रचनाकारों ने अजय की चिन्तन परम्परा को विराट भावभूमि प्रदान की है।

मुख्यमंत्री ने जिन साहित्यकारों को उत्तराखंड गौरव सम्मान से सम्मानित किया उनमे वे साहित्यकार भी शामिल रहे जो अनेक विशिष्ट बोलियों में रचना कर्म कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि इस कार्यक्रम के माध्यम से राज्य की लोक भाषाओं पर साहित्यकारों के मध्य विचार-विमर्श किया जाएगा। जिससे हिंदी व अन्य लोक भाषाओं का संरक्षण, विकास और उत्थान हो सके तथा साहित्यकारों के महत्वपूर्ण सुझावों को संस्थान अपनी भविष्य की कार्ययोजना में शामिल कर सकें। इस दौरान उन्होंने लोगों से भी अपील की की अपने समाज में बोली जाने वाली भाषण का सम्मान करना चाहिए जिससे भाषा और बोलियां को बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि अपनी मूल भाषा को बचाने के लिए लोगों को बच्चों से अपनी भाषा और बोलियां में संवाद करना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड भाषा संस्थान के प्रयासों की सराहना करते हुये कहा कि अपनी स्थापना के बाद से उत्तराखण्ड भाषा संस्थान ने कई महत्वपूर्ण कार्य किये हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने हिन्दी अकादमी, पंजाबी अकादमी, उर्दू अकादमी और लोक भाषा बोली अकादमी को एक छत के नीचे लाते हुए उत्तराखण्ड भाषा संस्थान को पुर्नगठित किया है तथा भाषा संस्थान की स्वायत्तता को बरकरार रखते हुए इसके विकास के लिए सरकार हर सम्भव कार्य करने को प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री ने साहित्यकारों, भाषाविदों, शोधार्थियों से अनुरोध किया कि वे भाषा संस्थान के साथ मिलकर भाषाई विकास के लिए कार्य करें और इस संस्थान को देश के प्रतिष्ठित संस्थान के तौर पर विकसित करने के लिए मिलकर कार्य करें। उन्होंने कहा कि इसी के अनुरूप हमारे भाषा संस्थान की पहचान भी पूरे देश में होनी चाहिए।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने प्रो. लक्ष्मण सिंह बटरोही को सुमित्रानन्दन पन्त पुरस्कार, देवकीनंदन भट्ट मयंक को गुमानी पन्त पुरस्कार, गिरीश सुंदरियाल को भजन सिंह ’सिंह’ पुरस्कार, सुरेश मंमगाई को गोविन्द चातक पुरस्कार, प्रेम कुमार साहिल को अध्यापक पूर्ण सिंह पुरस्कार, केए खान उर्फ नदीम बरनी को प्रो0 उनवान चिश्ती पुरस्कार, प्रो.शैलेय को महादेवी वर्मा पुरस्कार, डॉ० सुशील उपाध्याय को शैलेश मटियानी पुरस्कार, डॉ० ललित मोहन पंत को डॉ0 पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल पुरस्कार और गणेश खुगशाल ‘गणी’ को भैरव दत्त धूलिया पुरस्कार से सम्मानित किया।