देहरादून। राजाजी टाइगर रिजर्व और जिम कॉर्बेट पार्क के साथ उत्तराखंड के जंगलों में बाघों की संख्या बढ़ने से बाकि जानवरों ने अपना ठिकाना बदल लिया है जिस कारण वन क्षेत्र से कई जानवर रिहायशी इलाकों में पनाह लेने को मजबूर हैं। यही कारण है कि हाल के दिनों में गुलदार के हमलो में बड़ी संख्या में इजाफा हुआ है। अब तक राजधानी देहरादून से कई किलोमीटर की दूरी पर इस तरह के हमले देखे जाते थे लेकिन रविवार को राजधानी देहरादून के व्यस्ततम क्षेत्र कैनल रोड पर एक बच्चे पर तेंदुए के हमले ने दहशत बढ़ा दी है।
रविवार को राजधानी देहरादून के कैनल रोड पर स्थित एक कॉलोनी के बाहर कुछ बच्चे शाम के वक्त मैदान में खेल रहे थे जहां एक बच्चे के ऊपर तेंदुए ने हमला कर दिया और उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया। इसके बाद मौके पर पहुंची वन विभाग और स्थानीय प्रशासन की टीम ने बच्चें को अस्पताल में भर्ती करवाया जहां उसका इलाज चल रहा है। यही नहीं इसी रात कैनाल रोड पर स्थित वृंदावन एंक्लेव कॉलोनी में लगे सीसीटीवी कैमरे में भी तेंदुआ घूमता हुआ कैद हुआ है जिससे इलाके के लोगों में दहशत का माहौल है। वन विभाग की टीम भी तेंदुए को तलाश करने में जुट गई है लेकिन तेंदुए के बढ़ रहे लगातार हम लोग को रोकने के लिए वन विभाग के पास शायद ही कोई प्लान है क्योंकि अगर वाकई कोई प्लान होता तो इन हादसों में कमी जरूर आती।
साल 2022 में वन विभाग ने वन क्षेत्रों में बाघों की संख्या में इजाफा होने का जश्न मनाया था लेकिन वन विभाग शायद इस बात से बिल्कुल ही बेखबर था कि बाघों की संख्या बढ़ने से इस परिवार के एक और वंश तेंदुए के परिक्षेत्र में कमी आएगी। जिस कारण तेंदुआ रिहायशी इलाकों में आएगा जो जानवरों और इंसानों के बीच संघर्ष को बढ़ा सकता है। मौजूदा समय में उत्तराखंड के वन क्षेत्र में 500 से ज्यादा बाघ है। और माना जाता है कि एक बाघ की मौजूदगी 21 किलोमीटर की परिधि में होती है।
जाहिर है इस क्षेत्र में रहने वाले बाकी जानवर खासतौर पर इसी प्रजाति के तेंदुए इस क्षेत्र को छोड़कर नए ठिकानों की तलाश में निकल जाते हैं और भटक कर रिहायशी इलाकों में पहुंच जाते हैं जहां उनका सामना इंसानों से होता है। और बड़ी बात यह है कि जानवर और इंसानी संघर्ष के बीच ज्यादा नुकसान इंसानों का होता है क्योंकि इंसानी हाथों से किसी भी जानवर की मौत पर वन्य जीव एक्ट में सजा का प्रावधान है जबकि जानवर किसी इंसान की जान लेता है तो वन विभाग उसे जानवर को पड़कर वापस वन क्षेत्र में छोड़ देता है।