देहरादून। देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई की शताब्दी जयंती के अवसर पर देहरादून के थानों के लेखक गांव में नालंदा पुस्तकालय एवं शोध केंद्र और अटल बिहारी वाजपेई स्मृति व्याख्यान माला का शुभारंभ किया गया। इस मौके पर लेखक गांव में आयोजित कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और इंडिया टीवी के अध्यक्ष और प्रधान संपादक रजत शर्मा शामिल हुए।
लेखक गांव में आयोजित भव्य कार्यक्रम की शुरुआत 72 फीट ऊंचे राष्ट्रीय ध्वज के फहराने के साथ हुई। जिसे इंडिया फ्लैग फाउंडेशन ने स्थापित किया है। जिसके पश्चात अटल बिहारी वाजपेई की प्रतिमा का भी अनावरण किया। इस मौके पर लेखक गांव के संस्थापक पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक नालंदा ने कहा कि पुस्तकालय एवं शोध केंद्र में प्राचीन भारतीय ज्ञान की धरोहर को सहेजने के साथ-साथ आधुनिक शोध और अध्ययन के लिए एक आदर्श मंच प्रदान किया गया है। जिनकी रचनाएं आधुनिक युग में भी समाज को प्रेरित करेंगी।
मुख्य वक्ता राजत शर्मा ने कहा, “अटल जी केवल एक नेता नहीं, बल्कि एक युगदृष्टा और श्रेष्ठ वक्ता थे। उनकी वाक्पटुता, साहित्यिक प्रतिभा और प्रेरणादायी नेतृत्व हमें आज भी मार्गदर्शन देता है। लेखक गांव और नालंदा पुस्तकालय उनके विचारों को जीवंत रखने का एक अभूतपूर्व प्रयास है। मुझे गर्व है कि उनके 100वें जन्मदिवस पर मैं इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बन सका।”
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने उद्बोधन में कहा, “उत्तराखंड राज्य की स्थापना अटल जी की दूरदर्शिता और दृढ़ संकल्प का परिणाम है। लेखक गांव और नालंदा पुस्तकालय उनकी साहित्यिक और सांस्कृतिक दृष्टि को साकार करने की दिशा में एक सराहनीय पहल है। यह स्थान न केवल उत्तराखंड, बल्कि पूरे भारत के लिए गौरव का विषय है।”
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने इस अवसर पर कहा, “यह लेखक गांव और नालंदा पुस्तकालय आधुनिक भारत के ज्ञान का तीर्थस्थल है। डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ जी ने अटल जी के सपनों को साकार करने का एक उत्कृष्ट कार्य किया है। लेखक गांव साहित्य, संस्कृति और विचारों का केंद्र बनेगा, जहां समाज को दिशा देने वाले विचार पनपेंगे।”
डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने इस अवसर पर कहा, “भारत हमेशा से ज्ञान और संस्कृति का केंद्र रहा है। नालंदा पुस्तकालय हमारी प्राचीन ज्ञान परंपरा का प्रतीक है और यह आधुनिक युग में भी समाज को प्रेरित करेगा। अटल जी मेरे लिए केवल एक राजनैतिक गुरु नहीं, बल्कि साहित्यिक प्रेरणा भी थे। उन्होंने मुझे राजनीति में सक्रिय होने के लिए प्रेरित किया और साहित्य के प्रति मेरी निष्ठा को बनाए रखने की सीख दी। उनका बहुआयामी व्यक्तित्व और उनकी दूरदृष्टि आज भी हमारा मार्गदर्शन करती है। लेखक गांव और अटल स्मृति व्याख्यान माला उनके विचारों को जीवंत रखने का प्रयास है।”
लेखक गांव केवल एक स्थान नहीं, बल्कि साहित्य, संस्कृति और विचारों का मंदिर है। नालंदा पुस्तकालय शोध और अनुसंधान के लिए नई पीढ़ी को प्रेरित करेगा। लेखक गांव का उद्देश्य है कि यह साहित्यकारों, कवियों और कलाकारों के लिए ऐसा मंच बने, जहां वे अपने विचार साझा कर सकें और समाज को नई दिशा दे सकें।