चंपत राय के बयान पर बोले जगद्गुरु शंकराचार्य “मंदिर रामानंद संप्रदाय का तो चंपत राय सहित पूरे ट्रस्ट को चाहिए इस्तीफा”

अयोध्या। 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के भव्य आयोजन की तैयारी के बीच देश के चार शंकराचार्यों ने मंदिर के उद्घाटन समारोह में आने का निमंत्रण ठुकरा दिया है। चारों शंकराचार्यों का कहना है कि 22 जनवरी को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का आयोजन चुनावी है जो शास्त्र सम्मत नहीं है इसीलिए चारों शंकराचार्यों ने राम मंदिर ना जाने का निर्णय लिया है।

शंकराचार्य के इस फैसले के बाद विश्व हिंदू परिषद के उपाध्यक्ष और वर्तमान में श्री राम मन्दिर ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने कहा कि मंदिर रामानंद संप्रदाय का है शैव शाक्त और संन्यासियों का नहीं इसीलिए जरूरी नहीं की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम शंकराचार्य की मौजूदगी में किया जाए। चंपत राय के इस बयान ने नया विवाद खड़ा कर दिया।

चंपत राय के बयान के बाद ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज ने प्राण प्रतिष्ठा न जाने के फैसले पर कहा कि शंकराचार्य ने का अपना कोई भी मंदिर नहीं होता वे केवल धर्म व्यवस्था देते हैं उन्होंने कहा कि चारों सीटों के शंकराचार्य को कोई राग द्वेष नहीं है लेकिन उनका मानना है कि शास्त्र सम्मत विधि का पालन किए बिना मूर्ति स्थापित किया जाना सनातनी धर्म के लिए अनिष्ट कारक होने के कारण उचित नहीं है उन्होंने कहा कि पूर्व में कई बार परिस्थितियों ऐसी थी कि बिना मूरत के ही राम जी की मूर्ति को सन 1992 में स्थापित किया गया था लेकिन वर्तमान समय में स्थितियां अनुकूल है ऐसे में उचित मुहूर्त और समय का इंतजार करने और मंदिर के पूर्ण निर्माण के बाद ही भगवान को मंदिर में स्थापित किया जाना चाहिए। जगद्गुरु शंकराचार्य ने साफ किया कि वह प्रधानमंत्री मोदी के विरोधी नहीं है बल्कि उनके हितैषी हैं और इसीलिए उन्हें सलाह दे रहे हैं कि वह शास्त्र सम्मत कार्य करें, विरोधी तो वह है जो उन्हें अशास्त्रीय कार्य करवाकर उनका अहित का मार्ग खोल रहे हैं।

इसके साथ ही चंपत राय के बयान पर जगद्गुरु शंकराचार्य ने कहा कि शंकराचार्य और रामानंद संप्रदाय के धर्मशास्त्र अलग-अलग नहीं होते उन्होंने चंपत राय से सवाल पूछा कि क्या वह बता सकते हैं कि रामानंद संप्रदाय अंधेरे मंदिर में प्रतिष्ठा को शास्त्र सम्मत मानता है या नहीं? जगद्गुरु शंकराचार्य ने चंपत राय से इस बात का भी जवाब मांगा है कि अगर वह यह कह रहे हैं कि मंदिर रामानंद संप्रदाय का है तो उन्हें इस यह बताना चाहिए कि बैठक के पहले ही दिन अभिलेखों में हस्ताक्षर करने का अधिकार उनसे क्यों छीन लिया गया शंकराचार्य ने चंपत राय से कहा कि राम मंदिर अगर रामानंद संप्रदाय से जुड़े लोगों का है तो इस मंदिर को प्रतिष्ठा से पूर्व रामानंद संप्रदाय से जुड़े लोगों को सौंप देना चाहिए इस पर किसी भी शंकराचार्य को कोई आपत्ति नहीं होगी इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि चंपत राय के साथ उन सभी पदाधिकारी को इस्तीफा दे देना चाहिए जो राम मंदिर ट्रस्ट से जुड़े हैं और जिनका रामानंद संप्रदाय से कोई भी जुड़ाव नहीं है।

सनातन धर्म परंपरा में शंकराचार्य का विशेष स्थान है क्योंकि सनातनी परंपरा में शंकराचार्य को ही धर्म और शास्त्रों का प्रचारक माना जाता है। देश के चार पीठों के पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्यों का राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में ना आने के निर्णय के बाद मोदी सरकार के सामने भी सबसे बड़ी चुनौती है कि देश की चार पीठों के शंकराचार्यों को किस तरह से मनाया जाए क्योंकि उनके बिना इतने बड़े आयोजन का हो जाना मोदी सरकार के लिए सही नही है।

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