देश भर में उठ रहे ईवीएम पर सवाल, महेंद्र भट्ट बोले चुनाव आयोग जल्द करेगा कार्यवाही

देहरादून। जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे ही ईवीएम पर सवाल भी उठ रहे हैं। कुछ दिन पहले दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के वकीलों ने ईवीएम के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन किया। जहां विपक्षी राजनितिक पार्टियां दिखाई नही दी। हालांकि विपक्ष में बैठी लगभग सभी राजनीतिक पार्टियों एवं पर दबे होठों से सवाल जरूर उठा रही हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग को एक बार फिर पत्र लिखा है। हालांकि चुनाव आयोग साफ कर चुका है कि उसे ईवीएम पर पूरा भरोसा है।

इधर उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर उठ रहे सवालों पर विपक्षी दलों पर तंज कसा है उन्होंने कहा कि आने वाले कुछ दिनों में ईवीएम पर सवाल उठाने वालो पर चुनाव आयोग कार्रवाई करेगा। वैसे यह कोई नई बात नहीं है कि जैसे ही ईवीएम पर कोई राजनीतिक दल सवाल करता है तो चुनाव आयोग से पहले भाजपा चुनाव आयोग और एवं दोनों को डिफेंड करना शुरू कर देती है।

ईवीएम पर सवाल उठने के बाद भाजपा उन चुनावों का हवाला भी देती है जिसमें विपक्ष की जीत होती है। भाजपा के इस तंज पर देश के कई न्यूज़ चैनलों पर डिबेट भी हुई है जहां न्यूज एंड करो ने विपक्ष का मजाक उड़ाया है और विपक्ष से सवाल किए हैं की जहां पर विपक्षी दल जीते हैं वहां एवं पर सवाल क्यों नहीं उठाया जाता। एक प्रतिष्ठित न्यूज़ चैनल पर ऐसी ही डिबेट के दौरान कांग्रेस प्रवक्ता आलोक शर्मा ने न्यूज़ एंकर के इस सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि हाल में हुए सभी चुनावों को चुनाव आयोग रद्द करके वैलेट पेपर से चुनाव कर सकती है जिसके लिए कांग्रेस पार्टी तैयार है।

हालांकि एक राजनीतिक दल के तौर पर भारतीय जनता पार्टी ने ईवीएम पर उठ रहे सवालों के बीच कभी भी इस बात को नहीं कहा कि अगर देश के बाकी राजनीतिक दलों को एवं पर आपत्ति है तो चुनाव आयोग को इस पर विचार करने की जरूरत है। और शायद भाजपा की इसी आदत के चलते विपक्षी दलों के बीच ईवीएम को लेकर सवाल बढ़ते ही जा रहे हैं। शादी सवाल इस बात पर भी है कि चुनाव आयोग से विपक्ष के नेता ईवीएम को लेकर मुलाकात करने चाहते हैं लेकिन चुनाव आयोग ने विपक्ष के नेताओं से मिलने तक से इनकार कर दिया है।

देश में चुनाव आयोग एक निष्पक्ष एजेंसी के रूप में काम करती है लेकिन हाल के दोनों में चुनाव आयोग पर विपक्ष के किसी भी सवाल का जवाब देने के लिए सबसे आगे भाजपा खड़ी हुई दिखाई देती है ऐसे में देश की निष्पक्ष एजेंसी चुनाव आयोग पर भी सवाल खड़े होते हैं। जाहिर है की चुनाव आयोग को अपनी साख और विश्वसनीयता कायम रखनी है तो उसे विपक्षी राजनीतिक पार्टियों के आरोपों को भी सजगता के साथ सुनना होगा।

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