ब्यूरो। शनिवार को हल्द्वानी राजकीय महिला कल्याण व पुनर्वास केंद्र (सम्प्रेक्षण गृह) में 15 वर्षीय नाबालिक युवती के दुष्कर्म के मामले में राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा कुसुम कंडवाल का दावा है कि 11 दिसंबर को जब उन्होंने हल्द्वानी प्रवास के दौरान उपकारागार हल्द्वानी के निरीक्षण के साथ-साथ पुनर्वास केंद्र का औचक निरीक्षण किया था जिस दौरान उन्होंने पुनर्वास केंद्र की कई किशोरियों से बातचीत की थी उन्होंने बताया कि बातचीत के दौरान उन्हें एक किशोरी के व्यवहार में कुछ गड़बड़ी मिली थी उन्होंने बताया कि वहां एक किशोरी जो अपनी बात कहना चाह रही थी जिस पर मैंने किशोरी से बात की और किशोरी के द्वारा बतायी हुई कुछ बातो को समझ कर मामले की जानकारी हासिल की जिसके आधार पर उन्हें अंदेशा था कि पुनर्वास केंद्र में कई गलत गतिविधियां चल रही है इसीलिए उन्होंने अपने हल्द्वानी भ्रमण के उपरांत 12 दिसम्बर को सचिव महिला एवं बाल विकास श्री हरिश्चंद्र सेमवाल और निदेशक प्रशांत आर्या से बातचीत करते हुए उक्त प्रकरण में राजकीय महिला कल्याण व पुनर्वास केंद्र (संप्रेक्षण गृह) में कार्यरत अनुसेविकाओं की जांच करने के लिए निर्देशित किया था।
इन सभी बातों का जिक्र राज्य महिला आयोग द्वारा जारी किए गए एक प्रेस नोट में किया गया है जिससे लगता है कि राज्य महिला आयोग केवल इस मामले में क्रेडिट लेने की कोशिश कर रहा है क्योंकि हल्द्वानी पुनर्वास केंद्र मैं 11 दिसंबर को औचक निरीक्षण के बाद अगर जब राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष को अंदेशा था कि वहां रह रही एक किशोरी के साथ कुछ गलत हुआ है तो तत्काल प्रभाव से उसे बच्ची को काउंसलिंग के लिए क्यों नहीं भेजा गया जिससे उसे बच्ची के साथ की जा रही हैवानियत का जल्द पता लगाया जा सकता था। कुसुम कंडवाल का यह भी कहना है कि उन्होंने 12 तारीख 12 दिसंबर को मामले की जानकारी सचिव महिला सशक्तिकरण हरिश्चंद्र सेमवाल को दे दी थी तो उन पर भी सवाल या निशान खड़े होते हैं कि उन्होंने चार दिन बीत जाने के बाद 16 दिसंबर को इस बारे में विभागीय मंत्री को जानकारी क्यों दी और अगर जानकारी समय रहते दी गई थी तो 5 दिन बाद मामले में जांच टीम क्यों गठित की गई।
बरहाल इस पूरे मामले में विभागीय मंत्री रेखा आर्य ने शनिवार 16 दिसंबर को दो सदस्य जांच कमेटी बना दी है और जो दो महिलाएं इस पूरे प्रकरण में शामिल थी उनके ऊपर पोक्सो एक्ट में मुकदमा भी दर्ज कर दिया गया है और पुनर्वास केंद्र की अनु सेविका को तत्काल रूप से निलंबित और वहां तैनात होमगार्ड कर्मचारी को पुनर्वास केंद्र से हटा दिया गया है।
उत्तराखंड के पुनर्वास केंद्र में 15 साल की किशोरी को पुनर्वास केंद्र से बाहर ले जाकर दुष्कर्म कराए जाने के मामले ने भूमि को एक बार फिर शर्मसार कर दिया है वही यह घटना बिहार के मुजफ्फरपुर में साल 2018 में हुई घटना की याद दिलाती है जहां एक बालिका गृह में दर्जन से ज्यादा बच्चों के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया था। फिलहाल हल्द्वानी पुनर्वास केंद्र के प्रकरण में किशोरी का मेडिकल करने के साथ ही बच्ची को बाहर ले जाने वाली दोनों महिलाओं पर कार्रवाई कर दी गई है और मामले की जांच दो सदस्य टीम कर रही है लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस पूरे प्रकरण में जिस घर में बच्ची के साथ दुष्कर्म किया जाता था आखिर उसकी पहचान क्या है जिसकी सच्चाई सामने आना बेहद जरूरी है। वहीं राज्य सरकार को राज्य महिला आयोग कुसुम कंडवाल पर भी एक्शन लेने की जरूरत है क्योंकि जो दावा उन्होंने किया है वह राज्य महिला आयोग के काम करने के तरीके पर भी सवाल खड़े करता है।
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