खामोश हुई एक पत्रकार की बुलंद आवाज…… नम आंखों से पत्रकार गिरीश भंडारी को अंतिम विदाई

देहरादून। शनिवार सुबह की शुरुआत एक दिल तोड़ने वाली खबर से होगी ये शायद ऐसे किसी भी पत्रकार ने तो बिल्कुल भी सोचा नहीं होगा जो पत्रकार गिरीश भंडारी और उनके स्वभाव से परिचित था लेकिन उनकी हृदय गति रुकने के कारण आकस्मिक दुनिया से चले जाने की घटना ने पत्रकारों को झकझोर कर रख दिया और खबर जैसे ही फैलती गई देहरादून के कैलाश अस्पताल में पत्रकारों का तांता लग गया।

जितने भी पत्रकार या पत्रकार गिरीश भंडारी के जानकार अस्पताल में पहुंच रहे थे उन सबकी आंखों नम थीं परिवारजनों का अस्पताल में रो रोकर बुरा हाल था सभी की जुबान कुछ बोल नहीं रही थी लेकिन सभी के भीतर एक अजीब सी बेचैनी थी। सभी यही सोच रहे थे कि आखिर ऐसा क्यों हुआ। सभी पत्रकारों के लिए यकीन कर पाना मुश्किल था लेकिन जीवन का जो सच था वो सामने आकर हर सवाल का चीख चीख कर जवाब दे रहा था।

पत्रकार गिरीश भंडारी की याद सभी को आए ना आए लेकिन मुझे ताउम्र आएगी क्योंकि वो हमेशा बोलता था कि “अरे आप बड़े भाई हो मेरे”। बुधवार और गुरुवार को उसके साथ बात भी हुई थी जब उसने कहा था कि “2-4 दिन छुट्टी पर हूं सोमवार को मिलता हूं” लेकिन भाई मुझसे झूठ बोलेगा पता नहीं था और सबसे बुरा पल मेरे लिए वो था जब उसकी चिता को अपने सामने जलते हुए देख रहा था।

आज जब सभी को बेवजह रुला कर गया है उसके लिए तुझे कभी भी माफ नहीं करेंगे। फिर भी तू जहां भी है खुश रहे यही दुआ करेंगे। लिखना तो बहुत कुछ था तेरे बारे में मेरे दोस्त जो भी पल तेरे साथ बिताए थे वो वाकई अनमोल हैं। बस एक बात का अफसोस रहेगा कि मौसम विभाग की अपडेट के लिए किसे परेशान करेंगे क्योंकि सभी पत्रकार तुझे बिक्रम सिंह समझते थे। अलविदा मेरे दोस्त जहां भी रहे तू राज करे……………

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