देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने सोमवार देर शाम एक ऐसा फैसला किया जिसे प्रदेश की राजनीति गरमा गई है सरकार ने प्रदेश के चार जिलों में 17 जगह का नाम बदलने का फरमान जारी कर दिया है जिसका स्थानीय लोगों ने समर्थन किया है लेकिन विपक्ष ने सरकार के इस कदम को तर्कहीन बताया है और सरकार पर मुद्दों से भटकने का आरोप लगाया है।
उत्तराखंड की धामी सरकार ने राजधानी देहरादून समेत प्रदेश के चार जिलों नैनीताल उधम सिंह नगर और हरिद्वार के 17 जगहों के नाम बदलने का फरमान जारी कर दिया है सरकार ने राजधानी देहरादून के 4 हरिद्वार के 10 नैनीताल के दो और उधम सिंह नगर की एक जगह नाम बदल दिया है
जिन 4 जिलों के नाम बदलें गए हैं उनमें:-
हरिद्वार में:-
भगवानपुर ब्लॉक के औरंगजेबपुर का नाम बदलकर शिवाजी नगर, बहादराबाद ब्लॉक के गाजीवाली का नाम आर्य नगर, चांदपुर का नाम ज्योतिबाफुले नगर, नारसन ब्लॉक के मोहम्मदपुर जट का नाम मोहनपुर जट, खानपुर कुर्सली का नाम आंबेडकर नगर, खानपुर ब्लॉक के इदरीशपुर का नाम नंदपुर, खानपुर का नाम कृष्णपुर और अकबरपुर फाजलपुर का नाम विजयनगर किया गया है।
देहरादून में:-
देहरादून नगर निगम के मियांवाला का नाम रामजीवाला, विकासनगर ब्लॉक का पीरवाला का नाम केसरी नगर, चांदपुर खुर्द का नाम पृथ्वीराज नगर, सहसपुर ब्लॉक के अब्दुल्लापुर का नाम दक्षनगर किया गया है।
नैनीताल में:-
नवाबी रोड का नाम अटल मार्ग किया गया है। पनचक्की से आईटीआई मार्ग का नाम गुरु गोवलकर मार्ग हुआ है।
उधम सिंह नगर में:-
यहां नगर पंचायत सुल्तानपुर पट्टी का नाम कौशल्या पूरी किया गया है।
मुख्यमंत्री ने यह फैसला सोमवार देर शाम को लिया जिसके बाद विपक्ष ने सरकार पर जमकर हमला बोला है हालांकि सरकार ने इस फैसले पर कहा है कि यह फैसला सरकार ने जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए लिया है जिससे लोग भारतीय संस्कृति और इसके संरक्षण में योगदान देने वाले महापुरुषों से प्रेरणा ले सके जबकि विपक्ष ने सरकार के इस फैसले को पूरी तरह से तर्कहीन बताया है पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने यहां तक कह दिया है कि सरकार ने सवालों से बचने के लिए एक कमजोर ढाल का इस्तेमाल किया है और सरकार विकास कार्यों की जगह एक प्रोपेगेंडा इस्तेमाल कर रही है।
बड़ी बात यह है कि विपक्ष भले ही सरकार के फैसले पर सवाल उठा रहा हो लेकिन स्थानीय लोगों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है मियां वाला के व्यापारियों का कहना है कि पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश हो या देश कहीं भी औरंगज़ेब या अन्य किसी शासक का नाम अगर है तो उसे हटा देना चाहिए और सरकार का यह कदम स्वागत योग्य है जिसकी मांग स्थानीय लोग लंबे समय से कर रहे थे।